हम आशिक है उस नूरके
(तर्ज: हम आशिक है उस नूरके. ... )
हम आशिक है उस नूरके, जहाँ झिलमिल ज्योत जगावे ।।टेक।।
पंच तत्वका है एक पिंजरा । अंदर है उसके एक प्यारा ।
जिसका सब जग पडे उजारा,जो देखे परदे हुजूर के । जहाँ०।।१।।
श्वास - रूप एक पंछी बोले । सोहँ हंसा शब्द निकाले ।
अनुभवि हो तो खुद अजमाले, बस भेद हटे सब दूरके । जहाँ०।।२।।
रक्त रंग अरु सफेद, पीला । पीलेमें नीला उजियाला ।
सद्गुरू- भेद खोल दे ताला, पीओ बूँद मधूरके । जहाँ०।।३।।
बिन बाजे, बाजे दसतारी । जैसी बंसी लगे पियार ।
तुकड्यादास कहे बलिहारी, जो देखे रूप हुजूरके । जहाँ०।।४।।