चलियेना कुंजबनमें वो, श्याम गये
(तर्ज : गिरिधारी घर आयो रे... )
चलियेना कुंजबनमें वो, श्याम गये ।
सुनियेना तान बंसीकी, रंगे नये ।।टेक।।
जमुनाके नीर कैसे, बहत गंभीर जैसे ।
करिएना देरके थोरी हो, श्याम गये ।।१।।
बनकी लताएँ सारी, डुल रही प्रेम प्यारी ।
कोयल सुरको उबारी हो, श्याम गये ।।२।।
गोपी औ गोप सारे, भये आज श्याम प्यारे ।
भुल पाये ख्यालको मेरे हो, श्याम गये ।।३।।
तुकड्याकी प्रेम-धारा, श्यामही है हमारा ।
फिर नावे बखतको खोये हो, श्याम गये ।।४।।