हमारे प्रीय हिंदुओ ! बनाओ संगठन अपना

(तर्ज : अगर है शौक मिलनेका...)
हमारे प्रीय हिंदुओ ! बनाओ संगठन अपना ।
नही तो है घडी मुश्किल, बिसर जाओगे जग-सपना ।।टेक।।
तुम्हारा देश है भारत, कहा जाता हे पहिलेसे ।
पसंद करते हो क्यों ऐसा, गुलामीमें सदा खपना ।।१।।
गुलामीसे न बनता है, धर्मका शास्त्रवत्‌ पालन ।
तो पहिले देश अपनालो, करो फिर धर्मका जपना ।।२।।
मनुजका धर्म जीवन है, जीवन चाहता है आजादी ।
तभी सुख प्राप्त होता है, नही तो भूल है तपना ।।३।।
वह तुकड्यादास कहता है, सभी बनता है एकीसे ।
मिलाओ दिलसे दिल पहिले, तभी पाओगे सुख सपना ।।४।।