डम डम डमरु बाज

             (तर्ज : सिरपे टोपी लाल... )
डम डम डमरू बाज, नाचते गणनायक महाराज
देवता रंग भरे ।
लम्बी लम्बी सूण्ड, साथ में शिव -भक्तों की झूण्ड,
देवता रंग भरे ।।टेक।।
थिरक-थिरक पैर डाले, धुमक धुमक बोल बोले,
बीना की तान खोले ।
नंदीगण मस्त डोले, झांज - ढोलकी को घोले,
चूहे पास मोजे तोले ।
सभा होगयी दंग, ताँडवनृत्य चला अडभंग
देवता रंग भरे! 0।।१।।
अंग पिताम्बर दुशाला, भाल सिंदुरोंसे ढाला
गले मुक्ताफल की माला ।
रत्नमुकुट चमके बाला, चारों ओर हैं उजियाला
गुज रहा अबर नीला ।
झुन-झुन घुगरु तान, गा रहे झनक झनक कर गान,
देवता रंग भरे! 0।।२।।
विघ्नहरण, गौरी नदन, सारी बदनमें है चंदन,
बेल पत्र सरपे चदन ।
धूप आरतीसे पूजन, चढा रहे देकर तनमन,
बना रहे दिलको पावन ।
कहता तुकड्यादास, अजब है गण-भक्तोंकी रास,
देवता रंग भरे! 0।।३।।