एक रातमें दो - दो दर्श मिले

       (तर्ज: एक रात दो दो चांद खिले.....)
एक रातमें दो-दो दर्श मिले,एक रामका है एक श्यामका है ।
दिल मस्त हुआ मिलके उनको,एक कामका है एक प्रेमका है ।।टेक।।
एक बन्सि लिया बहलावनको, विषयोंसे मन छुडवावनको ।
गर इससे काम न पूरन हो, तो धनुष्यबाण फिर कामका है ।।१।।
दोनोंने घेर लिया मुझको, एक प्रेम दिया, एक नेम दिया।
एक मर्यादा पुरुषोत्तम है, एक लीला पथ सुख धामका है ।।२॥
दिखनेको दोनों कोमल थे, पर शत्रूके बलपे बल थे ।
निर्भय थे अपने आयुधसे, तुकड्याको बरद् आरामका है ।।३॥