अजब है ये बातें
(तर्ज : अजब है ये दुनिया... )
अजब है ये बातें, अजब है बतैया ।
गजब की है सूरत,गजब की है मैय्या ।।टेक॥
सभी कुछभि दिखता, न वो जान पाती ।
आओ रहती है सबमें, नजरमें न आती ।।
सिरफ जानता हूँ,उसे मैं हि भैय्या ! ।। गजब की है 0।।१॥
मुझे ही बनाकर नचाती है सारा ।
रुलाती - हँसाती मचाती पसारा ।।
न मैं भूलता हूँ, इसकी छलैया ।। गजब की है0 ।।२।।
पलक में अमीरी, पलक में फकिरी ।
पलक में समुंदर, पलक बैठी मंदर ।।
नही कुछ ठिकाना,कहाँ इसकी नैया ! ।। गजब की है0 ।।३।।
इसे मैने जाना, पुरा ही पछाना ।
ये मेरा तरंग है, मेरा ही बहाना ।।
कहे दास तुकड्या, मैं साक्षी खिलैया।। गजब की है0।।४।।