सीखजा रे सत् गुण सीख जा
(तर्ज: रुक जाओ जानेवाले रुक जा... )
सीखजा रे सत्गुण सीख जा, जिन्दगिमें नाम तेरा होयगा ।
जीवन की घड़ियाँ खो दिया,हाथोमें मल- मल रोयगा ।।टेक।।
अब तो ये जवानी है,शैतानी भि हो सकती ।
यह समय चला जाये,फिर गाडी चली रुकती ।। सीखजा 0।।१।।
कई बार तुने खाया, धोखाही जीवनमें ।
ईश्वरने दिया फिरसे,मानुज तन ! रख मनमें ।। सीखजा 0।।२।।
जो खोता वख्त यहाँ, फिर के पछताता है ।
बिन सत्गुरुकी किरपा,यह ग्यान न होता है ।। सीखजा 0।।३।।
कहे तुकड्या सुन बातें, नेकीसे भला होगा ।
गर भूल गया इसको,धोखा ही तू पावेगा ।। सीखजा 0।।४।।