तुकड्यादास
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जीव तो अज्ञान ईश्वर
जीव तो अज्ञानी ईश्वर नियंता । कर्म-बाधकता जीवालागी ॥
जीव तो अल्पज्ञ ईश्वर सर्वज्ञ । विश्वभरी सूज़ञ ईशू एक ॥
अप्राप्य ते प्राप्त होय जीवालागी । ईश्वर सर्वांगी ज्ञान-दाता ॥
तुकड्यादास म्हणे कर्मासक्त जीव । सुख दुःख भाव जीवालागी ॥