हट जा रे जानेवाले हट जा

      (तर्ज: रुक जाओ जानेवाले रुक जा...)
हट जा रे जानेवाले हट जा,वहाँ निंदक खल है बैठे ।
तू मत कर संग उन्होंका, वह हरदम बोले  झूठे ॥टेक।।
ताकत हो कुछ तेरी, समझा दे सच बातें ।
सत् धर्म  भरा उनमें, प्रेमके लगा नाते ! ।। हट जा0॥१।।
धर्म हो किसीका भी, निंदा नहिं कर उसकी ।
मानवता जगा देना,यही बातें है जशकी ।।हटजा0।।२।।
कहीं विषयी नर बैठे, कुछ समझ दिला उनको ।
भूले भटके रहते,कुछ ग्यान नहीं मनको ।।हटजा0।।३।।
घुंसखोरी शराबी हो, वह बकते है गाली ।
कहे तुकड्या उनको दे,सच ग्यानकी खुशियाली।। हट जा0।।४।।