तेरे काबिल अभी मैं हूँ कि नहीं

(तर्ज : मेरा दिल अब तेरा ओ साजना.. )

        तेरे काबिल अभी मैं हूँ कि नहीं,
        प्रभु  तूहि  बतादे  सही - सही ।।टेक।।
कुछ तो लगता मैं पागल हूँ, इस कारण  पुछता हूँ ।
गर मैं अपने आप समझ लूं,क्या-क्या मैं रचता हूँ ।।
परभी भूलता  हूँ  कहीं - कहीं।। तेरे काबिल 0 ।।१।।
दिखता मैं गलती करता हूँ, पर आगे बढता हैं।
सम्हल नहीं सकता अपनेको, बूरी जगा बढता हूँ ।।
इतनीही   खराबी  मेरी   रही।। तेरे  काबिल 0 ।।२।।
कितने दिन अब होंगे पूरे, जब तेरा हो  जाऊँ । 
तुकड्या की अभिलाषा है ये,फेर जनम नहीं पाऊँ।।
बीती ये उमर सारी   ही   गयी।। तेरे काबिल 0 ।।३।।