अरे सुन तो जरासी बात मेरी
(तर्ज : दिल तोडनेवाले जादूगर. . . )
अरे सून तो जरासी बात मेरी, जाता है किधर उस मंदरमें ?
पहले तो पूजा साथमें ले, फिर चढ जाना उस अन्दर में ।।टेक ॥
क्या तेरे है मनसुबे बता, तुझको ईश्वरकी याद हुई ।
पहले तो समझे यहाँ,फिर ठीक खडा हो मँजघर में ।।१।।
अभिमान कि गर्दन काट वहाँ ,सेवा का मुकुट चढा सरमें ।
माला ले नम्र-विनयशिलता,फिर देख चला जा सुन्दर में ।।२।।
ले खोल जबाँ अपने दिलकी,गर पूंछे तो भगवान कहीं ।
कहता मैं तेरा हूँ बन्दा, थोडा न रहा रखता डर मैं ।।३।।
मुझको मिलजा मेरे प्रीय जिगर, तेरेहि लिये मैं जीता हूँ ।
तुकड्या कहे साफ बता उनको ,फिर सागर ले तू गागर में ।।४।।