किसके गलेमें डालू मैं माला
(तर्ज: में तेरे प्यारका आसरा... )
किसके गलेमें डालू मैं माला,नयनोंमे दिखता नहीं बन्सिवाला ।।टेक।।
अपनी ही आँखोसे अपनेको देखूँ ।
अपने सिखाये प्रिय नाम घोकूँ ।
अपनीही माला और अपना उजाला ! ।। किसके गलेमें0 ।।१।।
गर हात खोते तो पहनाता केसे ?
गर आँखे खोते तो दिख जाता कैसे ?
गर भक्ति ना हो तो,क्या माल डाला! ।।किसके गलेमें 0।।२।।
उस बन्सिवालेने ऐसा तो करना ।
बिन हाथ,बिन आँख,बिन भक्ति दिखना ।
तब मेरी -तेरी ही बाते जा भूला ! ।। किसके गलेमें 0।।३।।
मुझमें औ तुझमे जो अंतर पडा है ।
उसके लिये तो ये साधन जुडा है ।
तुकड्या कहे भेद होता निकाला ! ॥ किसके गलेमें 0।।४।।