इश्कमें तेरी हमेशा, राख लगे रहते हैं
(तर्ज : आज मेरि लाज प्रभू ! ... )
इश्कमें तेरी हमेशा, राख लगे रहते हैं ।
पर्वा नही जहाँनकी, दिल पाक लगे रहते हैं ।।टेक।।
खूश हो, नाखूश हो, दूनियाकी आग जलती यह ।
मस्त तेरे नामपर, कुर्बां हो जगे रहते हैं ।।१।।
हररूतबा एकसा, खुलता चमन यह नेैनोंमें ।
आजादके मैटानमें, आबाद जगे बहते हैं ।।२।।
डरते नहीं मरनेको या, जीनेको किसी कालमें ।
मंजूर हमें है तेरी, कुदरत जो खास कहते हैं ।।३।।
रहते हैं फकीरोंकी कंबलमें सदा दीवाने हो ।
कहत तुकड्या माशुकोंपर,आस जडे रहते हैं ।।४।।