अभि न छोड प्रभु बिन दरसनके

(राग: गौड़ सारंग: ताल तिनताल..... )

अभि न छोड़ प्रभु बिन दरसनके ।
खटकत है मोरे मन में मनके ।
भर    आये   है   नीर   नयनके ।।टेक।।
कितने दिन बीते   रह   जाये ।
सुमरन ही सुमरन कर  गाये ।
देख सके नहिं चरण-कमलके ।।१।।
जिन गाये प्रभ तिनको पाये ।
सन्त   सदा  ऐसे   फरमाये ।
भाग न  कैसे    होत  हमनके ।।२॥
मानव-जीवन फेर नहीं है ।
फेर मिलनकों देर नहीं है ।
तुकड्या कहे, चाहे हो तनके ॥३॥