रूप तेरा श्याम मोहन ! नाम तेरा श्याम है ।
(तर्ज : आज मेरि लाज प्रभू ! ....)
रूप तेरा श्याम मोहन ! नाम तेरा श्याम है ।
दिव्य तेरा प्रेम मोहन ! काम तेरा नेम है ।।टेक।।
ग्यान तेरा ऊँचा जगमें, दूसरा न कोऊ ऐसा ।
ध्यान तेरा मोह लेता, दे सदा अराम हैं ।।१।।
कर्म तेरे मर्म बोले, जीवके विकासवाले ।
चक्र तेरा घोर करता, शत्रुको निकाम है ।।२।।
शंख तेरा नाद देता, बीरको उठावे रणमें ।
गदा गदगदाती तेरी, जैसे पडे बाँम हैं ।।३।।
पद्म तो सुगंध छोडे, कुसंगीकी चाल तोडे ।
बन्सि तेरी रंग लावे, देती निज - धाम है ।।४।।
नाम तेरे जो अनेकों, एकिको दिखाते सबमें ।
कहत दास तुकड्या तेरा, हरजगह मुकाम हैं ।।५।।