साँवरे ! आस तेरे कदमकी लगी
(तर्ज : खिदमते मुल्कमें गरजे... )
साँवरे ! आस तेरे कदमकी लगी ।
मेरे जीवनमें जब याद दमकी लगी ।।टेक।।
सारि दुनियामें कोई नहीं दूसरा ।
जो कहनसे गरीबोंका करदे पुरा ।
यों हि मेरे करमकी रहा है जगी ।।१।।
टूटि माला गलेमें रखेंगे तेरी ।
करमें तारी धरेंगे जो तारी तेरी ।
और सारी हमारी वह आसा भगी ।।२।।
सबमें देखा कि कुछभी न सुख है कहाँ ।
जोभि सुख है वह तेरे कदममें रहा ।
कहता तुकड्या यह सुमरनकी प्रीती जगी ।।३।।