तूने धरम बिगाडा यार !

(तर्ज : सैया बडा मजेदार...)
तूने धरम बिगाडा यार ! सरासर झूठ किया बेपार ।
कैसा होगा बेडा  पार, तेरा  जीवन   है   बेकार ।।टेक॥
जबतक धरम-करम है साथी, सबही आदर करते ।
जहाँ धरम दिलसे छुट जाये, पापी   घर  में  भरते ।।
फिर तो दूर भगे करतार, साथी मिलते है   बेजार ।
कैसा होगा बेडापार, तेरा जीवन है बेकार ! ।।१।।
धरम गया तब शील चलेगा, उसके पीछे पुन ।
लक्ष्मी, सत्य नहीं ठहरेगा, जायेंगे सब गुण ।।
छुटेंगे सबही यों आधार,होगा उलटा सब संसार ।
केसा होगा बेडापार, तेरा जीवन है बेकार ! ।।२।।
यह लाखोंने अजमाया है, करके साधू बोला।
तू तो समझ बखत मत खोये, धो ले मूहका काला ।।
कहता तुकड्या बारंबार, नाहक क्यों बनता नादार ।
कैसा होगा बेडापार, तेरा जीवन हे बेकार ! ।।३॥