सबर नहि देखो बिना ब्रजराज !
(तर्ज : सुदामजी को देखत श्याम...)
सबर नहि देखो बिना ब्रजराज ! ।।टेक।।
नींद न आवे चैन न पावे, दे दर्शन यदुराज ! ।।१।।
दुर्लभ यह अवसर नहि आवे, आप मिलो महाराज ! ।।२।।
मोरमुकुट पीताम्बर शोभे, कर मुरली मधु-बाज ।।३।।
तुकड्यादास दरस का भूखा, मिलो मोहे गरिब नवाज ।।४।।