राह तेरी दे,राह तेरी दे
(तर्ज : चाहे पास हो, चाहे दूर हो ...)
राह तेरी दे, राह तेरी दे । मेरा दिल चाहता है उध्दार दे ।।टेक।।
ऐसा समझकर ही चल रहा मैं । पल-पल् में तेरे ही बल रहा मैं ।।
किसका कहाँ ना नाता कहाँ मैं । जाता कहाँ मैं, आता कहाँ मैं ।।
आता कहाँ मैं !
चाहे तार दे,या तो मार दे । मेरा दिल चाहता है उध्दार दे ।।१।।
किसको निभाया तूने नहीं था ?। जिससे कि तेरा नाता सही था ।
चाहे वे जंगलमें भी कहीं था । या घरमें,मंदरमें तूही तूही था ।
तूहीतूही था !
एक बार दे, एक बार दे । मेरा दिल चाहता है उध्दार दे ।।२।।
अबतक तो तूने ही है निभाया । तिनका न कंकर थोडा चुभाया ।।
लिया हाथ में था तोही बचाया। तुकड्या कहे सारी तेरी ही माया-
सारी तेरीही माया !
अन्त सार दे,अन्त सार दे । मेरा दिल चाहता हे उध्दार दे ।।३।।