कब आओगे भगवान मेरे !

(तर्ज : यह प्रेम सदा भरपूर रहे... )
कब आओगे भगवान मेरे ! तुम्हे बिन जी घबराता है ।
ना नैन करो हैरान मेरे, यह भूल समय सब जाता है ।।टेक।।
भारतमें बिपती है भारी, सब दुखमें हैं नर और नारी ।
अब याद तुम्हारी गिरिधारी ! कब कृष्ण हमारा आता है ? ।।१।।
सब निर्बल हैं हम प्राणोंसे, धन-धानोंसे तनसे मनसे ।
यह हाँक हमारी हैं तुमसे, एक पलक न सुखमें जाता हैं ।।२।।
ना धर्म हमारे हैं कायम, ना कर्म करनकी भी है गम ।
ना हक्क रखे भारतके हम, यह सोचके रोना आता है ।।३।।
हम जिनके हैं संतान हुए, बस वे हमसे हैरान हुए ।
जबसे हम दानादान हाए, अब वक्त नही वह पाता है ।।४।।
प्रभु ! लाज हमारी जाती है, बस कोउ नही संगाती है ।
सब साथी होगये घाती हैं, ना रखा किसीने नाता है ।।५।।
गीतामें शद्ब सुनाते हैं, हम तब भारतमें आते हैं ।
जब दुर्जन लोक सताते हैं, अब क्यों प्रभु ! देर लगाता है ? ।।६।।
वह धर्मकि होगइ ग्लानी है, सज्जनकी होगइ हानी है ।
धूलीमें मिले जिंदगानी है, अब जरा न देखा जाता है ।।७।।
तुकड्याकि अर्ज सुन लीजिये, जो फर्ज खबर कर दीजीये ।
मत गर्ज हटाकर भेजीये, प्रभु ! गरिबोंका तू दाता है ।।८।।