तुम तो खूब मिले महाराज !
(तर्ज : तुम्हारे पूजनको भगवान...)
तुम तो खूब मिले महाराज ! पुरा नहि करते हो यह काज ।।टेक।।
तुमको समय बडा लगता है, भँग औ गाँजाही चखता है ।
किसकी सुने नही आवाज । पुरा नहि०।।१।।
अब तो भारत दुखमें आया, सारा परदेशोंने खाया ।
तुमको खब्र नही है आज । पुरा नहि०।।२।।
तुम तो धूनी यहाँ रमाते, वे तो अब घरमें ही आते ।
इसकी कौन रखेगा लाज ? पुरा नहि०।।३।।
तुकड्यादास कहे अब ऊठो, अब तो नहि गरिबनको लूटो ।
सारा डुबा दिया है जहाज । पुरा नहि०।।४।।