तुम्हरो चरण अती निर्मल हैं

(तर्ज: लोटूं नको मज दूर कन्हैया !... )
तुम्हरो चरण अती निर्मल हैं । औरनमें थोरा ना शिल है ।।टेक।।
जगके सब पंथनको देखा, आज बने सबही   दुर्बल   हैं ।।१।।
कोउ नहीं सतग्यान बतावे, सबही आज करे गलबल हैं ।।२।।
मैं ऊँचा  यह लोग पुकारे, कौन सुने उनकी कलबल  हैं ।।३।।
तुकड्यादास कहें प्रभु! मोरे, तुमही ब्रीद धरो निश्चल हैं ।।४।।