हिंदुओके मंदिरोंकी, यह दुराशा देखिए

(तर्ज : क्यों नहि देते हो दर्शन...)
हिंदुओके  मंदिरोंकी, यह दुराशा देखिए ।।टेक।।
किस लिए बनवा गयाथा, मंदिरों और क्षेत्र को ? ।
बात वह भूले अभी, उनकी निराशा देखिए ।।१।।
प्रार्थना तो हे नही, पर जो पिटे वह घंटियाँ ।
मौजसे चिल्ला रहे, उनका तमाशा   देखिए ।।२।।
कोइ तो मंदिरमें, गप्पे चलाते जोरसे ।
कोइ-तो पत्ते पिसे, यह उनकि आशा देखिए ।।३।।
कोइ-तो लंबे कियापर, पैर बैठे सामने ।
कोइ तो थूकें वहाँ, ये   झब्बूबाद्शा   देखिए ।।४।।
घर नही खाली जगह, मिजवान कैसे सोयेंगे ?।
डार दो मंदीरमें  उनकी  अभिलाषा   देखिए ।।५।।
क्यों नही हम हों गधे, गर शान हमरी है यही ?।
कहत तुकड्या भाइयो ! वह बात फिरसे सीखिए ।।६।।