तुम बिन कौन खबर ले मोरी ?

(तर्ज : अजि मोरि लाज रखो... )
तुम बिन कौन खबर ले मोरी ?
हम जानत गिरिधारी ! ।।टेक।।
यह संसार भरा स्वारथसे, जिसकी  प्रीत   बिकारी ।।१।।
ज्यों ज्यों पैर धरू दुनियामें, त्यों त्यों दुःख मुरारी ! ।।२।।
छिन-छिन पल -पल काम सतावे, डखरत मूँह निकारी ।।३।।
तुकड्यादास कहे सुन लीजो, अर्ज यह  नाथ !  हमारी ।।४।।