सुनायी यह प्रेमनकी बानी ।
(तर्ज : अजि पोरि लाज रखो... )
सुनायी यह प्रेमनकी बानी । अटपट बेन कहानी ।।टेक।।
ना कुछ पद लीन्हे व्याकरणी, भाव धरे दिलम्यानी ।।१।।
ना उपदेश किया औरनको, अपने मन समझानी ।।२।।
भावभरे ये फूल अनोखे, माल करी निर्बानी ।।३।।
तुकड्यादास कहे सज्जनके, चरणनको पहिरानी ।।४।।