जाग जाग जाग बंदे ! जन्मको सुधारिए
(तर्ज : गौतम नार जबसे सिलाकर डारी... )
जाग जाग जाग बंदे ! जन्मको सुधारिए ।।टेक ।।
मन ! मान कही मत भूल परे, सियाराम को दिलसे भजले तू ।
बिन हरिनाम साथ कोउ नावे, संतके प्रमाण ऐसे,
बचन ऊर धारिए ।। जाग०।।१।।
यह संसार सपनकी माया, पल -छिनका मेला सारा ।
कब आवे कब जावे श्वाँसा, किसीको भरोसा नाही,
खब्र यह उबारिए ।। जाग०।।२।।
बिन सत्संग सुधी नहि पावे, क्या करना ? कहँ जाना हैं ? ।
तुकड्यादास कहे मानुजका, देह तो मिले नहि बहूरी,
यार ! अब उध्दारिए ।। जाग०।।३।।