छोड दे तमाशा जगका, क्यों बना दिवाना हैं ?
(तर्ज : गौतम नार जबसे सिलाकर डारी...)
छोड दे तमाशा जगका, क्यों बना दिवाना हैं ? ।।टेक।।
दुर्लभ मानुजजन्म मिला पर, चीज नही तूने कीन्हा ।
खोय रहा विषयोंमें बिरथा, याद रख मुसाफिर ! मेरी,
एक रोज जाना है ।। छोड०।।१।।
इस दुनियामें जो कोइ आये, सो पीछे पछताये हैं ।
समय निकलकर गया मुसाफिर ! लाख करो यार ! कोई,
फेर नही आना है ।। छोड०।।२।।
अमीर -उमरा शाहू सिकंदर, इनका हुआ भनाना है ।
जमराजाका हुआ बुलाना, किसीको न समझे वह तो,
लगे ना ठिकाना है ।। छोड०।।३।।
जाग मुसाफिर ! सोच सम्हलके, भजले नाम रघूबिरका ।
तुकड्यादास कहे तर जाओ, टूट पड़े जमका फेरा,
लगेगा निशाना है ।। छोड०।।४।।