हमारे संत अवलीया, वली शेगाँव में रहते

                    ।। श्रीगजानन स्तोत्र ।।
(तर्ज : अगर है ग्यानको पाना... )
हमारे संत अवलीया, वली शेगाँव में रहते ।
गजानन नाम है तनका, सभी दुनिया वही कहते ।।टेक।।
हमेशा मस्तिमें रहना, किसीका लोभ ना करना ।
दिगंबर देहका बाना, प्रभूकी याद में बहते ।।१।।
मिली जूठी कहीं पत्री, उठाये शीत चाँवलके ।
पिये जल बैलधावोंमें, हमेशा सूख-दूख सहते ।।२।।
कहीं गादी कहीं तकिया, कहीं पड़ते हैं भूमीपर ।
कहीं फूलोंके हारोंमें, महालोंमें पड़े रहते ।।३।।
हजारों लोगकी गर्दी, चली रहती है दर्शनको ।
लहर जिनपे लगी उनकी, दलिंदर पार है करते ।।४।।
थे दुनियामें तभी वैसे, समाधीमें तभी वैसे ।
जिन्होंको हो गया अनुभव, वो प्यारेही हमें कहते ।।५।।
वह तुकड्यादास कहता है, गजाननकी दया होवे ।
तो बेडा पार हो जावे, यही आसा सदा करते ।।६।।