चलो यारो ! मिलेंगे वह, वली प्यारे गजानन से
(तर्ज : अगर है ग्यानको पाना...)
चलो यारो ! मिलेंगे वह, वली प्यारे गजानन से।
लगायेंगे धुली उनके, कदमकी गौरकर सिरसे ।।टेक।।
हजारों लोग जाते है भरे दरबारमें उनके ।
बसे शेगाँव में जाकर, दया करते हैं हर-हरसे ।।१।।
दिगंबर रूपको देखो, तो मनकी प्यास जाती है।
उमलती है कली दिलकी, दूर जाता है मन डरसे ।।२।।
वह तुकड्यादास कहता है, चलो यारो ! मिलेंगे सब ।
उध्दारे जीव देखेसे, करेंगे नमन आदरसे ।।३।।