किरपाकी मेहर करो हमपे, अवलीया संत गजाननजी

(तर्ज : यह प्रेम सदा भरूपर रहे... )
किरपाकी मेहर करो हमपे, अवलीया संत गजाननजी ! ।
है कीर्ति तुम्हारी दुनियामें, दुखियोंके हो दुख-भंजन जी ! ।।टेक।।
इन भवसागरकी छाटोंमें, है नैया भौंर अडी मेरी ।
गुरु ! संकट पार करो दिनका, तुम हो पतितनके पावनजी ! ।।१।।
है फर्ज तुम्हारा तारनका, दासोंके प्राण उध्दारनका ।
अवतार लिया है बेर भयी, शेगाँव गरजता गानन जी ! ।।२।।
लाखोंके संकट टारे हो, कहते अनुभव लेनेवाले ।
विश्वास हमारा है साचा, तुम जानत हो यह तनमन जी! ।।३।।
जो गाते हैं फल पाते हैं, इहपर जगसे तर जाते हैं ।
तुकड्याकी आसा पूर्ण करो, हो ग्याननका निज अंजन जी ! ।।४।।