छेडनेवाले किसे, छेड गये है
(तर्ज: मैं वो दिल हूँ, जो...)
छेडनेवाले किसे, छेड गये हैं ।
किसिके दिलपे दाग, छोड गये हैं ।।टेक।।
छुडाये कौन उसे साफ कराये ।
ढूंढ रहे चारों ओर नैन लगाये ।।
भरे बाजार में मरोड गये हैं ! ।।1।।
अगन में जल न जाये ,शान किसीकी ।
अक्ल न हो चापसहेराम किसीकी ।।
मेरे ये दिलके तार, तोड गये हैं ! ।।2॥
उठाये आह मेरी, बाँह पकडके ।
विनय जान मेरी, ध्यान में कडके।।
तहीं तो धन्य हैं, दुहि जोड गये हैं ! ।।3।।
धुल में लेटते थे, आस गमाये।
फल में कौन घुसे? मुझको गमाये ।।
तुकड्या में दासपन,बिनाये गये हैं !।।4॥