अपनेही करणीसे दुःख पाता क्यो ?

(तर्ज : ए करना था. . .)
अपनेही करणीसे दुःख  पाता  क्यों ? 
जो न  किया  जाय, तू  करता  क्यों ? ।।टेक॥
तेरी जिंदगी है छोटी, तू भी छोटा है ।
तेरे पास नहीं धन,नहीं दिलभी मोटा है ।।
बसमे  हो  विकार   लेके   सोता  क्यो? ।।1।।
रखले बसमे तेरी इंद्रियोको संयम कर ।
तुझे पुत्र भी हो थोडे, रहे  जीवनभर ।।
अगर मन नही माने,तू संभालता न क्यो ?।।2॥
वैद्य डाक्टरसे शस्त्रक्रिया, कर अपनी ।
पुत्र ना  हो   मनमाने, राह   दे   अपनी ।।
इसमेही तेरी शान  है, छुपाता  क्यो ? ॥3।।
हो थोडीसी संतान, मगर वीर बने । 
हो ग्यानी कलावान धीर शुर बने ।।
तुकड्या कहे तू ख़ुदकोही गमाता क्यो ? ॥4।।