झुठि गुलामशाही क्या डर बता रही है ?
(तर्ज : छंद)
झुठि गुलामशाही क्या डर बता रही है ?
जुल्मोका खौफ देकर किसको डरा रही है ?।।टेक।।
आजादी हमारा हक है, लेकर रहेंगे अब हम ।
चाहे प्राणो की बली देकर, मर मिटेंगे अब हम ।
इस शक्ती को मिटाने, क्या डर बता रही है ।।१।।
क्रांति की ये मशाले वीर, बनके जल रही है ।
चारो दिशाओसे हम, क्रांति की लहरे उठा रहे है ।
ये देखकर सताने क्या, डर बता रही है ।।२।।
हर गाँव जागेगा अब, हम शक्ती लेंगे प्रभूसे ।
हम भारत माँ के बच्चे, डटकर लढेंगे तुझसे ।
सजाओंका खौंफ देकर, क्या डर बता रही है ।।३।।
डरतें न तेरे ऐ जुल्मोके, सितमसे अब हम ।
चाहें हमें मिंटादे, या चाहे फना कर हमे ।
शिव राणा के लहू को, क्या डर बता रही है ।।४।।
तुकड्याने यही ठानी, दुर हो यह गुलामी ।
करके बढा है दमसें, क्रांति की आंधी लाने ।
इस क्रांति को मिंटाने क्या डर बता रही हैं ।।५।।
-सन् १९३०