सुनिए सुनिए मेरि पुकार जी !
।। विनय ।।
सुनिए सुनिए मेरि पुकार जी ! यह आखरीका अर्ज है ।
हो गरीब परवर दासके, बस तुमसे मेरी गर्ज है ।।टेक।।
जब प्राण जावेगा निकल, तब भूखा हूँ दीदारका ।
आँखोमें देखूँ हुस्नको, जलवा मेरे दिलदारका ।
हँसतेही मरूँ देशकी, खिदमतमें मेरा फर्ज हैं ।।१।।
आजाद मुझसे हो सभी, बेडर रहें इस कालसे ।
शूली चढे कहते अनहलक ना हटे इक बालसे ।
बस मैं भि चाहता हूँ, वही मस्तोंकी पूरी तर्ज है ।।२।।
ना हम रहें किसिके बँधे, इस लोकमें परलोकमें ।
बस तेरेही हो जाय पूरे, शौकमें या भोगमें ।
तुकड्याकि मुराद कर पुरी, गर हो नही कुछ हर्ज हैं ।।३।।