आमदसे मत खर्चा कर

           ( तर्ज - चल चल अपुल्या गावाला...)
आमदसे मत खर्चा कर, वे दिन मौत आये मत मर !
            अपना घर नेकीसे सम्हाले ।।टेक।। 
चार घडी की यार जवानी ! फिर रोगो की खेती !
लडके-बच्चे खूब बढाता, सबकी  करता  माटी ! !
कौन करेंगे पालन उनका, मत सिरपर बोझा ढोले ।
           अपना घर नेकीसे सम्हाले 0।।1।।
दुबली है बच्चोंकी माता, कदम-कदम पर रोती ।
श्रम करती बच्चे-पालनमें, कदर न तुझको आती।।
तू पहिले ही खाकर जाता, क्या तुझको हम बोले !
          अपना घर नेकीसे सम्हाले 0।।2॥
तनपे वस्त्र नहीं मिलता है, नहिं सोनेको चद्दर  !
रहनेको टूटी झोपडियाँ, मिला सिराने  पत्थर ! !
खाना-पीना आधी रातको ! दिनभर रहते ताले !
          अपना घर नेकीसे सम्हाले 0।।3।।
फिर लाता है गांजा-दारू ! और मटन की आशा!
दिनभर रहती मूँहमे बिडी ! उड़े बदनपर माशा ! !
वाहवारे, तेरी जिन्दगानी ! देश शरम में डाले !
          अपना घर नेकीसे स्रम्हाले0।।4।।
अपनी जिन्दगी थोडी कर, पर शरम न बाहर जावे।
औरत लड़के अच्छे हो और श्रमसे जीवन  बितावे ।।
तुकड्यादास कहे सब मिलकर, अच्छी शान निभाले।
          अपना घर नेकीसे सम्हाले 0।।5।।