सुन रे, सुन रे जवान !
(तर्ज: ऊँचा मकान... )
सुन रे,सुन रे जवान ! काहे करता तूफान ?
होगी खतरे में जान, तेरा मोह छोड दे ।।टेक।।
संसार की आग जिसको जलाती ।
उसकी सूरत फिरसे मुंह ना उठाती ।
प्रभुसे जिया तेरा जोड ॒ दें ।।
राह अच्छी पकड़, ना नाहक अकड ,
होगी खतरे में 0।।१।।
जिस -जिसने जीवन में प्रभू को न जाना ।
उसका कहींपर लगा ना ठिकाना ।
झूठों की संगत को तोड दे ॥
छोड विषयोंका ध्यान,कहना तुकड्याका मान,
होगी खतरे में 0।।२।।