तू तो दो दिनका है महेमान

 ( तर्ज : तू तो दुनिया के मालिक...)
तू तो दो दिनका   है   मेहमान ।
काहे करता है झूठा तू काम? ।।टेक॥
लाखों कमानेवाले  कहाँ  है?
तोपें चलानेवाले   कहाँ   है?
कहाँ हैं वे राजा आलम राजवाले ?
रहा न उनका  नामों  निशान  ।।१।।
बचपन गया फेर आयी जवानी ।
बूढापे में मरने की दिखती निशानी ।
किसकी रही है तो तेरी रहेगी ?
जो  आज   दिखती   है   जान ।।२।।
उसका अमर नाम दुनिया में होगा ।
जिसका जीवन सत्यमेंही रहेगा ।
कहता है तुकड्या,सुनले मुसाफिर !
करले         प्रभूकी      पछान  ।।३।।