हलके - हलके से पैर धरो

           (तर्ज : दिल तोडनेवाले जादूगर... ) 
हलके - हलके से पैर धरो,यह दलदलवालि समस्या है
कहिं तोल न आडा जाये किधर,फिरतो तरनेकी आशा है ।।टेक।।
कोई अनजाने करते है घमंड, इस माया-मोहसे तरनेका ।
छूपे है जनावर जहरीले, वह देते हाथ निराशा है ।।१।।
जो नम्र रहे और संयमि हो,जिनपर गुरुदेवकि है किरपा ।
वहि पावन होते जीवनमें,उनको नहिं आशा पाशा है।।२॥
अपनेको आप समा सकते, इस निर्मल सेवा सागर में।
न धोखा फिर कोई लेश नहीं, बल्के ओ बनेंगे शानशाँ हैं ।।३।।
इस कारण कहता हूँ मित्रों, खूब प्रेम करो पर नेम भी हो।
तुकड्याकि खबर सबको कहदो,नहिं तो बन जाय तमाशा है।।४।।