सब मिलकर अपना दिल हम

            (तर्ज: अब कैसे ध्यान चढाये...)
सब मिलकर अपना दिल हम, सबकी खिदमतमें लगाये ।
जो अलग पड़ी मानवता, जागृत कर ऊँच उठाये ।।टेक।।
ना धन है एक किसीका, ना जमीन खुदकी होगी ।
ना है संतान किसीकी, सब देश की शान  बनेंगी ।
यह शक्ति-युक्ति जो जो है, सबकेही काम चलाये ।।१।।
सुंदर हो बदन हमारा, सुंदर   हो   रहन   हमारा ।
सबकी मोहब्बत हो हमसे,निर्लोभ हो प्रेम हमारा ।
सबकी आवाज में हम भी, अपनी आवाज बढाये ।।२।।
जो ज्यादा हो   बँटवायें, कमती हो   तो  मँगवायें ।
ना गर्जकों हम किसिके भी,बेख्यालसे पल टलवाये ।
जीवनकी उज्वलताको, हम कभी  न  सूना  पायें ।।३।।
हम ऐसा राज   चलायें, जो    सेवासे   बन   जाये ।
हम समझ -समझ के अपने, जीवनका कदम बढायें।
हम एक-एकसे   लेकर, दुनियाको   घर  बनवायें ।।४।।
हर मनुष्यकी जो इज्ज़त, वही देशकी शान बनेगी ।
बेकाम न कोई   रहेगा, ना    भीख   मंगेगा   जोगी ।
इस ख्यालसे अपना साधन,कहे तुकड्या हम अजमायें।।५।।