सबमें सेवाभाव बढाओ

      ( तर्ज : रघुवर आज रहा मेरे प्यारे...)
               सबमें सेवाभाव बढाओ ।
तभी देशका भला रहेगा, द्वेष-स्वार्थ मत लावों ।।टेक।।
आपसमें क्यों लड़ते हो? वे लडनेवाले मरे कई । 
राम नहीं, रावणभी नहीं, कुछ देखो आँख उठाओ ।।१।।
सेवाका साप्राज्य बडा है, उसे न   धोखा   आवे । 
राष्ट्रपिता गांधीसम, सेवासेही राज्य   मिलाओ  ।।२॥
कुटिल भाव मत रखो किसीसे, भ्रातृभाव फैलाओं।
अपना -परका भेद हटाकर,जीव जीव अपनाओ ।।३।।
बच्चा बच्चा देशका मालिक यह आवाज उठाओं ।
सबमें नीति -चरित्र बढाओ, देशका गौरव गाओ ।।४॥
यह हिंदू वह मुसलमान है, वह   है   जैन - इसाई ।
चाहे रहने दो कोई सब मिल सुखसे खाओ -पीआओ।।५॥
मै साहब मैं देशभक्त  हूँ- यह   अभिमान   हटाओ ।
हम सब सेवक विनयसे बोले,सीधा काम चलाओ।।६।।
गरिबोंकी आत्माको सुख दो, घर-घर प्रेम ठगाओं ।
लिखना, पढ़ना, रहन-सहनसे,सारे लोग बनाओ।।७।
लाखो पंथ, महंत सभी मिल देशमें चित्त लगाओ ।
तुकडयादास कहे तबही यह रामराज्य कहलाओ ।।८।