साधो ! खोज करो तनमों , भटकते क्यों हो बनबनमों

भजन १९
(तर्ज : जमका अजब तडाका बे...)

साधो ! खोज करो तनमों , 
भटकते क्यों हो बनबनमों ।। टेक ।।

बिना क्रोध रुप गंगाजल है, स्नान करो तनमों |
बध्द जीव को साबु लगाओ, क्यों मरते रणमों ।। १ ।।

ज्ञान अग्निसे द्वैत जलाकर, भस्म धरो तनमों।
आसन गंग बूँद सम बैठो, रत हो उस धुनमों 
।। २ ।।

बिन जापे एक माल चली है, ध्यान धरो क्षणमों।
अस्तिभाति प्रिय वही सच्चिदानंद, मस्त धुनमों ।। ३ ।।

कहता तुकड्या सद्गुरू के बिन बिरथा, जीवनमों ।
साक्षिभूत जो होकर बैठा, जा उस चरणनमों 
।। ४ ।।