कहाँपे तुम हो ! कहाँ थे पहिले

         (तर्ज: वो राम मुझमें में राम में हूँ ! ...)
कहाँपे तुम हो ! कहाँ थे पहिले,बिचार इसका कभी किया क्या ?
चला वही सब भला चला इस,फिकर में अपना समय दिया क्या? ।।टेक।।
कहाँ थे अपने ऋषी -महात्मा, कहाँ था उनका बचन भजनका ?
अभी कहाँ है गुजार अपनी, तलाश किसिसे चला लिया क्या ? ।।१।।
कहाँ थी दौलत जमीं औ दाना? कहाँ ठिकाना था नौकरों का ?
किधर भटकते अभी बिचारे, किसीने उनकी खबर लिया क्या ? ।।२।।
कहाँ थी विद्या समाज -नीती, कहा था राजाका प्रेम हमपर ?
कहाँ हैं अब हम हवाके कचरे,पडे है किसिने कदर किया क्या ? ।।३।।
उठो जवानों ! ये आर्यभूका, मुकुट उठावो पडा हे नीचे।
वह दास तुकड्या पुकारता है, आवाज दो जी नहीं  रहा क्या ? ॥४।।