किस-किसको सुनावे हम
(तर्ज : घरघरमें दिवाली है मेरे...)
किस-किसको सुनावे हम दुख-दर्द हमारा
है कौन? - दिलावेगा गरिबोंको सहारा ! ।।टेक।।
सारे फिकर बताते, साथी न एक आते ।
मरना है खुदी हमको, होता न गुजारा ।।१।।
राजा सुने न बिनती,भूखो के हाल क्या है !
ना सेठ सुने कोई, हमरा सवाल क्या है ! ।
भारी फिकर बताते, बातोंका पसारा ।।२।।
कपडा नहीं बदनपर अबला मरे शरमसे ।
बीरोंको नहीं दाना, रोते हैं वे करमसे ।
रे हाय ! वक्त आयी ! ! , बालकने पुकारा ।।३।।
कहि नाज सड रहे है, चूहोंके दरियोंमे ।
पर ना मिले किसीको,मिलताभि है तो सौ में ।
सारे यही सुनाते, घरघरका उजारा ! ।।४।।
हे नाथ ! बुध्दि इनकी, आवे जगह में कैसी ?
सबको हों सुख जगमें गाये यह बात कैसी ?
तुकड्या कहे, इस जगसे मरनाहिं पियारा ।।५।।।