चेत गया है भारत दुखसे

                   (तर्ज : आजा आजा रे... )
चेत गया है भारत दुखसे, आग बुझाना  मुश्किल  है ।
कहाँतक के समझाना बाबा, अब समझाना मुश्किल है ।।टिक।।
ना जाने भूखोंकी जाने, फेर  बदलकर   आती   हो ।
तडप-तडपकर अपना बदला, लेने फेर सताती हो ।
क्या लेकरके उठेगी अब,यह समझाना मुश्किल है ।। १।।
बालक,वीर, वृध्द औ नारी, अपनी बाँह सवारी है ।
हिन्द-हिन्द-जय-हिन्द सभीके, घटसे देत पुकारी है ।
किसपर बदला उलटके लेगी,यह बतलाना मुश्किल है ।।२॥
हदसे अधिक सता जानेपर, पशु भी धडक उठाता है ।
आतमका अपमान किडा, मुंगी भी नहिं सह  पाता  है ।
यह मानुज जब हुवा अनावर,जगह बसाना मुश्किल है ।।३॥
हिंदू, मुस्लिम और इसाई, अपना   खून   जमाये   है ।
मानवताका लेकर बाना, यह     आवाज   उठाये   है ।
उठा तिरंगा, बढाए छाती, अब बहलाना मुश्किल है।।४।।
संघ-शक्तिके मारे    कुत्ते, फाडके    खाते   शेरोंको ।
यह मानुज जब हुये एक तो,क्या कहिये इन शुरोंको ।
कहे तुकड्या हम समझाते,पर-अब समझाना मुश्किल है।।५।।