मत होना बैमान देशको !

(तर्ज : मनकी आँखे खोल...)

मत होना बैमान;
देशकों ! मत होना बैमान ।। टेक ।।
देश तेरा आजाद हुआ है
तू इसको समझा कि नहीं है ?
तेरे बुजुर्गोने खुन देकर, देदी तुझको शान।। देशको0 ॥१॥ 
तू है वीर, देशका प्यारा । 
तुझपर देश खडा है सारा । 
तेरे नेकीबदीकी सूरत, तू खुदही पहचान ॥। देशको 0।।२।।
कैसा राज चाहता है तू ?
जो जनगणसे कहता है तू ।
वैसा खुद करता कि नहीं तू ? साक्षी रख भगवान।। देशको 0।।३।।
कितनों के है दु:ख मिटाये | 
कितनों से सच प्रेम लगाये ।
इसपर निर्भर रहेगी तेरी, अन्त समय में जान।। देशको 0।। ४ ।।
होगा तू खुदही का गर्जी |
समझ देशकी बिगडी मर्जी ।
तुकड्यादास कहे फिर तुझसे, देश हुआ शैतान ।। देशको 0।।५।।