ऊँचा फडक रहा है भगवा निशान
(तर्ज: ऊँचा मकान तेरा... )
ऊँचा फडक रहा है, भगवा निशान तेरा ।
दिलपर धडक रहा है, भगवा निशान तेरा ।।टेक।।
उठ जाग आर्य भाई ! क्यों नींदमें पडा तू ?
तुझको पता नहीं क्या, भगवा निशान तेरा ? ।।१।।
भगवान का है बाना, ऋषि संतने पछाना ।
बैरागको दिखाता, भगवा निशान तेरा ।।२॥
वीरोंने खून सींचा, सिंदूर देवियोंने ।
दिखता है रक्त रंजित, भगवा निशान तेरा ।।३।।
इसके लिये करोडों - लाखोंने प्राण खोये ।
श्रीकृष्णका है प्यारा, भगवा निशान तेरा ।।४।।
सबको सुखी कराओ , दुर्जन न हो जगतमें ।
यह ही बता रहा है, भगवा निशान तेरा ।।५।।
कितना बदल गया है, सारा जमीं - जमाना ।
अबतक धडक रहा है, भगवा निशान तेरा ।।६।।
है शान आर्यभू की, तबतक अमर रहेगा ।
है तत्वज्ञान जिसका, भगवा, निशान तेरा ।।७।।
किसि रंगसे रंगाया नहिं, है खुदी रंगा वह ।
तुकड्या कहे उठा तू , भगवा निशान तेरा ।।८।।