क्या किया ! क्या किया ??

क्या किया ! क्या किया ??
कैसी पूजा किया? है क्‍या किया ? ।।टेक॥
चन्दन चाँवल बहाँ दिये।
बेल-फूल सिर झुका दिये।
लिया हाथ में नरियल।
धूप-दीप की चहल ।।
माँगे लाखोंकी  मजा, क्या  किया ? ।।1।।
हाथ जोड दंडवत कर लिये।
शक्कर का भोग चूम धर लिये।
मुख बोलता  है   ज्ञान ।
अब तो तारो मेरि जान ! !
काला-बाजार जो कुछ कर लिया! क्या ?॥2।।
ऐसी पूजासे हरि मिलते।
लाखों भी फलते-फुलते।।
वहाँ शुध्द होता मन।
करो चारित्य जतन।।
नहीं तो किया साराही खो दिया! क्या ?।।3।।
ठाट-बॉट से   प्रभु   मिले।
ये कहना मत डालो गले।
सुनो आखरि की बात। 
सेवा करो   दिन - रात।
कहता तुकड्या,प्रभू फिर पा लिया! क्या?॥4॥