हमको सताने आये

हमको सताने आये, हम देखते   हैं  उनको ।
हममें न बल सबल है, हम  रोकते हैं   मनको ।।टेक॥
तारीफ तो यही हैं, मुरशिद कोई मिला दो। 
बेडा हमारा पलमें, बस पार कर जिला दो।
बच जाये कालसे हम, यहि सीखते हैं गमको ! ।।1।।
जाने हुए हैं हम भी, बस राह एकही है ।
बिन प्रेम-भक्ति कोई, साधन मिला नहीं है।
बस    प्रेमही    लगादो, मस्ती   भरे    बदनको ।।2॥
इस कामकी जो लपटें, मनको जला रही है ।
भक्ति न मुक्ति कोई, बस यौंहि खा रही है। 
तुकड्या कहे, इसीसे हम छूये हैं, चरण को !   ।।3॥