दीवाने दीवाने !!

(तर्ज: दिलवाले ! ऐ दिलवाले १...)
            दीवाने, दीवाने !!
हम तो सच के बने हैं दीवाने !! ।।टेक।।
शरीरही है भेख बनी।
वैश्वानर है, पेट- धुनी।।
चले श्वासों की माल।
बजे अनहद घड्याल।।
सच्चा कर्महि अपनाया हमने, है दीवाने...।।1।।
जहाँ जाना तो प्रेम दिया।
बात सुनी तो नेम दिया ।!
सारा प्रेम का बाजार।
प्रेम लेना - देना सार ।।
चाहे मिले, ना मिले भी चने, है दीवाने ... ।।2।।
अटल है अपनेमें निश्चय ।
ज्ञान के साथी हैं निर्भय ।।
कहता      तुकड्यादास -
गुरु - भक्ति लिये पास ।।
हम तो पागल के भाई बने ! है दीवाने... ।।3।।