आशिक है तेरे नूरपर
(तर्ज: आशक फकीर के घर...)
आशिक है तेरे नूरपर, दीवाने बने बैठे हैं ।
मस्ताने बने बैठे ! ।।टेक।।
पैदा न हुआ दर्द मेरे रूँह के खजानेमें ।
लगता न कभी डर जरा, हो मौत या जी जानेमें ।।
सरकर खतम गुमानका, सरदार बने बैठे है ।।१।।
बीमार ना होते-कभी, कदमोंमे दिल लगानेको ।
हृटते न तेरे द्वारसे, हो गानेको बजानेको ।।
पागल हो तेरे नामपर, मस्ताने बने बैठे है ।।२।।
हो निस्तनाबूद यह तन, दुनियाके हिरसानेमें ।
घूसे न कभी देशके परदेश के सिरानेमें ।।
तुकड्या कहे यह आसमें,मनमाने बने बैठे हैं।।३।।